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आलेख

मानसिक तनाव
सुनील माहेश्वरी
अधिकतर तनाव का मुख्य कारण काम का समय से पूरा नहीं करना होता है, जिससे हमें मानसिक तनाव होता है, हमें अवचेतन मन में पत
साइकिल
पारो शैवलिनी
साइकिल चलाना व्यायाम करने और परिवहन पर पैसे बचाने का एक शानदार तरीक़ा है। साइकिल चलाना बच्चों और वयस्कों समेत महिल
सौंदर्य
रतन कुमार अगरवाला
आज सहसा ही मन में ख़्याल आया कि विषय “सौंदर्य” पर कुछ जानकारी प्रद लिखने की कोशिश करूँ। हिन्दी व्याकरण के अनुसार “स
नारी की समाज में नारायणी भूमिका
सुधीर श्रीवास्तव
सृष्टि निर्माण और उसके अबाध संचालन के केंद्र में नारी है, ईश्वर के बाद सांसारिक धुरी नारी ही है। नारी सिर्फ़ सृजक भर
संत रविदास जी
सुधीर श्रीवास्तव
माघ मास की पूर्णिमा को रविवार के दिन जन्में प्रसिद्ध प्रमुख संतों में एक संत रविदास जी का जन्म काल विभिन्न विद्वान
ख़ामोशियों की आवाज़
सुषमा दीक्षित शुक्ला
सच तो यह है कि ख़ामोशियाँ भी बोलती हैं, बस उनकी आवाज़ सुनने वाले कान होने चाहिए। ख़ामोशियों की आवाज़ कानों के बजाय आत्मा
हमारा गणतंत्र
सुधीर श्रीवास्तव
26 जनवरी, 1930 से 15 अगस्त, 1947 को आज़ादी प्राप्त होने तक 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता था। चूंकि 26 जनवरी, 1930 को भारत
लोक आस्था का पर्व छठ
डॉ॰ ममता बनर्जी 'मंजरी'
"छठी मैया आइतन आज..." छठ पर्व के आगमन होते ही यह गीत भारतवर्ष के कई राज्यों में विशेष रूप से बिहार, उत्तरप्रदेश और झार
युवा दिवस और स्वामी विवेकानंद जी का संदेश
सुधीर श्रीवास्तव
महज़ 39 साल की जीवन यात्रा में ही स्वामी विवेकानंद जी न केवल भारत के आध्यात्मिक गुरू बने, बल्कि दुनिया भर को अध्यात्म
विश्व हिंदी दिवस
सुधीर श्रीवास्तव
हिंदी की लोकप्रियता को लेकर समूचे विश्व में 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी प्रेमियों के लिए इस दि
समानता का अधिकार
सुधीर श्रीवास्तव
सुनने कहने में कितना मीठा, प्यारा लगता है "समानता का अधिकार"। पर जरा धरातल पर आकर देखिए। हर क्षेत्र में सिर्फ़ विडंब
पर्वों का संदेश
सुधीर श्रीवास्तव
छठ पर्व के साथ ही त्योहारों की शृंखला करवा चौथ, धनतेरस, दीवाली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, चित्रगुप्त पूजन, लक्ष्मी पूज
ख़ुद को ही सर्वश्रेष्ठ न समझें
सुधीर श्रीवास्तव
श्रेष्ठ या सर्वश्रेष्ठ होना हमारे आपके जबरन ख़ुद को घोषित करने की ज़िद कर लेने भर से नहीं हो जाता। परंतु ख़ुद को श्रेष
सीखें सिखाएँ
सुधीर श्रीवास्तव
ये हमारा सौभाग्य और ईश्वर की अनुकंपा ही है कि हमें मानव जीवन मिला, तो ऐसे में हम सभी की ये ज़िम्मेदारी है कि हम इस चार
हिन्दी भारतीयों की चेतना है
सुषमा दीक्षित शुक्ला
हिन्दी भारत की आत्मा है, हमारी पहचान है, हिन्दी को उपेक्षित कर शिक्षा का सर्वांगीण विकास अधूरा है। हिन्दी को मातृ भ
शिक्षक का सच्चा स्वरूप
सुषमा दीक्षित शुक्ला
चरित्रवान शिक्षक बनने के लिए शिक्षक को अपने सच्चे स्वरूप का ज्ञान होना चाहिए। शिक्षक को चाहिए कि वह स्वयं के स्वर
कान्हा
सुषमा दीक्षित शुक्ला
कान्हा कोई नाम नहीं, कोई व्यक्ति नहीं, कान्हा तो साक्षात परबृह्म हैं अजन्मा हैं अमर हैं अजर हैं। परन्तु वह जसुदा मइ
रक्षा बंधन
रतन कुमार अगरवाला
कहने को तो रक्षा बंधन भाई बहन के स्नेह का त्यौहार है पर अध्यात्म रूप से देखें तो इस त्यौहार के दिन हम परमात्मा से उम
अनुशासन से हो सोना कुंदन
सुषमा दीक्षित शुक्ला
अपने आपको मना कर पाने की सामर्थ्य के साथ ही गरिमा की समझ पैदा होती है यही अनुशासन की सीढ़ी है, यही सीढ़ी बनाती है सोने क
भ्रष्टाचार
प्रवल राणा 'प्रवल'
देश के सामने भ्रष्टाचार बहुत बड़ी समस्या है, भ्रष्टाचार के निषेध के लिए क़ानून है, लोगों को शिकायत भी करनी चाहिए। किन
एक वृक्ष की पीड़ा
संजय राजभर 'समित'
मैं वृक्ष हूँ। प्रकृति का फेफड़ा हूँ, मैं निःसंदेह निःस्वार्थ भाव से प्रकृति के संचालन में अनवरत अथक संघर्ष करता ह
गुरु
कर्मवीर 'बुडाना'
गुरु अपने सभी शागिर्दों पर रहमतें बरसाता है अगरचे ज़ुबाँ से बरसे या मास्टरजी के दिव्य डंडे से। जिसने ये ईल्म, नेमते
आम आदमी और कोरोना
प्रवीन 'पथिक'
यह जीवन जितना दुर्लभ है उतना ही जीना दुष्कर। हमारा देश विगत दो सालों से जिस विषम परिस्थितियों से गुज़र रहा है, उसका
सतत विकास में कहाँ हैं हमारा समाज?
परमजीत कुमार चौधरी 'सोनू'
हमारा देश और समाज निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर है और हमने काफी सारे उपलब्धियां भी हासिल की है। परंतु क्या हमारा समा
संघर्ष
सलिल सरोज
जीवन की शुरुआत के बारे में कोई निर्णायक सबूत नहीं है। हमने अनुमान और शोध किए हैं। हम सच्चाई के बहुत क़रीब आ गए हैं, या
कोरोना योद्धाओं को सलाम
संस्कृती शाबा गावकर
कोरोना वैश्विक महामारी ने अब तक पूरी दुनिया को अपने चपेट में ले लिया है। दुनिया भर में इस वाइरस की वजह से संक्रमण तथ
संघर्ष सफलता की कुंजी है
मधुस्मिता सेनापति
संघर्ष एक ऐसा अनुभव है, जो जीवन में आने वाली हर एक पड़ाव को पार करने के लिए एक मूल्यवान अस्त्र के तरह हमारे सामने आ खड
शिवशरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
विमल कुमार 'प्रभाकर'
हिन्दी साहित्य के सुविख्यात वरिष्ठ कवि, लेखक, आलोचक, सुधी सम्पादक शिवशरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' समकालीन साहित्य में

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