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मँझधार फँसी नैया
उमेश यादव
मँझधार फँसी नैया, उद्धार करा देना। जीवन की कश्ती को, प्रभु पार लगा देना॥ सुख-दुःख ही जीवन है, मन को समझाना है। संघ
स्नेह भरे आँचल में माते
उमेश यादव
कष्टों से व्याकुल मेरा मन, पीड़ा से जब भरता है। स्नेह भरे आँचल में माते, छुपने को मन करता है॥ जब भी विपदा आई मुझपर, तू
तोहरो रूप गढूँ मैं राधिका प्यारी
रोहित सैनी
सुनो वृषभानु कुमारी, राधिका प्यारी तोहरो पंथ निहारी, अँखियाँ दुखारी म्हाने मत भी सताओ, नैनन समाओ करो न देर अब आओ, र
होली आई रे
अजय कुमार 'अजेय'
होली आई रे होली आई रे। मस्ती छाई रे मस्ती छाई रे। रंगों से भरी पिचकारी, छोरा-छोरी चोरी मारी। गुब्बारे में भर-भर रंग
श्रद्धा भक्ति प्रेममय होली है
डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
ब्रज होली है रंगों का त्यौहार राधा संग खेलें होली रे। गोरी राधा हृदय गोपाल मन माधव प्रिय हमजोली रे। मोहे रंग दे गु
तो समझो की ये होली है
उमेश यादव
नयनों में ख़ुमारी छाए, साँसों में भी उष्णता आए। मन मिलने को अपनों से, होकर अधीर अकुलाए॥ लहरों सा हिलोरे ले मन, तो समझ
बचपन के दिन
सुषमा दीक्षित शुक्ला
कितने सुंदर, बेमिसाल थे, छुटपन के दिन बचपन के दिन, रह ना पाते सखियों के बिन। रह ना पाते सखियों के बिन। खेलकूद थे मस्
क्षितिज के पार जाना है
उमेश यादव
उठो जागो बढ़ो आगे, क्षितिज के पार जाना है। सुनो नारियों, आगे बढ़कर, अपना मार्ग बनाना है॥ जकड़ी थी ज़ंजीरों से पर, तूने
राष्ट्र की उपासना ही, अश्वमेधिक लक्ष्य हैं
उमेश यादव
राष्ट्र की उपासना ही, आश्वमेधिक लक्ष्य है। पराक्रम से राष्ट्र रक्षा, यज्ञ संस्कृति रक्ष्य है॥ अश्व है प्रतीक साह
अपनापन
डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
खोता जीवन सुख अपनापन, वह स्वार्थ तिमिर खो जाता है। कहँ वासन्तिक मधुमास मिलन, पतझड़ अहसास दिलाता है। भौतिक सुख साधन
मेरा गाँव
सुषमा दीक्षित शुक्ला
मेरे गाँव की सोधीं मिट्टी, अम्मा की भेजी चिट्ठी। स्कूल से हो जब छुट्टी, वो बात-बात पर खुट्टी। हर बात याद क्यूँ आती?
मकर संक्रांति
उमेश यादव
संक्रांति का पर्व है पावन, सबके मन को भाता है। पोंगल, लोहड़ी, खिचड़ी, बीहू, मकर संक्रांति कहलाता है॥ मकर राशि में जाक
मकर संक्रांति
डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
आज हुआ किसान फिर धरा मुदित, नवान्न फ़सल कटाई होती है। फिर जले अलाव लोहड़ी उत्सव, बाली गेहूँ आग दी जाती है। ख़ुशियाँ
जय बोलें श्रीराम की
उमेश यादव
आओ सब मिल महिमा गाएँ, जननायक श्रीराम की। राम तत्त्व मन में विकसाएँ, जय बोलें श्रीराम की॥ राज पाट को छोड़ा प्रभु ने, क
नैन मिले अनमोल
शतदल
जोगन, नैन मिले अनमोल, ओस कनों से कोमल सपने पलकों-पलकों तौल! जोगन, नैन मिले अनमोल! इन सपनों की बात निराली, दिन-दिन ह
तेरी प्यास अमोल
शतदल
बटोही, तेरी प्यास अमोल, तेरी प्यास अमोल! नदियों के तट पर तू अपने प्यासे अधर न खोल, बटोही, तेरी प्यास अमोल! जो कुछ त
एक सपना उगा
शतदल
एक सपना उगा जो नयन में कभी आँसुओं से धुला और बादल हुआ! धूप में छाँव बनकर अचानक मिला, था अकेला मगर बन गया क़ाफ़िला।
कल अचानक
शतदल
कल अचानक गुनगुनाते चीड़-वन जलने लगे और उनके पाँव से लिपटी नदी बहती रही। है नदी के पास भी अपनी सुलगती पीर है, दोपहर
एक सपना दिए का जिएँ
शतदल
एक सपना दिए का जिएँ हम अँधेरा समय का पिएँ दीप बालो, हृदय में धरो! हर दिशा में, उजाला करो! दीप की बात इतनी सुनो; रोशन
एक ख़त जो किसी ने लिखा भी नहीं
शतदल
एक ख़त जो किसी ने लिखा भी नहीं उम्र भर आँसुओं ने उसे ही पढ़ा। गंध डूबा हुआ एक मीठा सपन कर गया प्रार्थना के समय आचम
मौसम के फूल
शतदल
गंध के धनुष खींचे आ गए मौसम के फूल। फूल जो लुभाते हैं, प्राण तक चुराते हैं। कानों में मंत्र गीत गा गए मौसम के फू
हर कलम यहाँ शमशीर है
श्याम सुन्दर अग्रवाल
अपना हर आँगन नेफ़ा है, हर बगिया कश्मीर है, स्याही की हर बूँद लहू है, हर कलम यहाँ शमशीर है। हम आँगन के रखवारे हैं, औ' बग
हम बंजारे हैं
श्याम सुन्दर अग्रवाल
नहीं इजाज़त रुकने की, अब सफ़र करें हम बंजारे हैं, ना अपना कोई गली गाँव, ना कोई देहरी द्वारे हैं। संग साथ संगी साथी, य
क्या नेह लगाना जीवन में
श्याम सुन्दर अग्रवाल
क्या नेह लगाना जीवन में, चौराहे पर मिले पथिक से, सबको अपनी बस्ती अपने गाँव चले जाना है। यह अभिनेताओं का गाँव, यहाँ स
गजानन! तुम्हारी गूँजे जै-जैकार
सुशील कुमार
जय शिव नंदन, कृपा निकंदन, गौरी सुत सरकार तुम्हारी गूँजे जै-जैकार। वाहन तेरा मूसक राजे, मातु पिता के चरण विराजे अन
क्यों नहीं कान्हा हमारे पास आते हो
सुशील कुमार
क्यों नहीं कान्हा हमारे पास आते हो। प्रेम की वंशी अधर से ना बजाते हो॥ राह मे जो तुम कभी माखन चुराते थे, साँझ के ढल
मैं नारी हूँ
उमेश यादव
मैं नारी हूँ, मैं शक्ति हूँ , मैं देवी हूँ, अवतारी हूँ। अबला कभी समझ मत लेना, ज्वाला हूँ, चिंगारी हूँ॥ कल्याणी, भवान
सृजन देवता श्री विश्वकर्मा
उमेश यादव
शिल्प के ज्ञाता, विश्व निर्माता, रूपकर्ता महान हैं। सृजन देवता श्री विश्वकर्मा, साक्षात भगवान हैं॥ ब्रह्मापुत्
कृष्ण
उमेश यादव
प्रेम मगन मनमोहना, छवि प्रभु की प्यारी। दूर करो कष्ट सोहना, केशव गिरधारी॥ पग ठुमक ठुमक प्रभु चलिहें। पद नूपुर छू
स्नेह प्यार का बंधन राखी
उमेश यादव
भाई बहन का पर्व मनोहर, भैया मान बढ़ाना। स्नेह प्यार का बंधन राखी, बहना से बंधवाना॥ ये रक्षाबंधन, विमल प्रेम का बंधन
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