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चौपाई छंद
कृष्ण मुरारी
विपिन दिलवरिया
वसुदेव सुत देवकी लाला। सिर पर झाँपी उसमें डाला॥ चले देवकी से वह कहकर। पहुँचे गोकुल नगरी चलकर॥ गोकुल नगरी में ग
हर हर शंकर भोले दानी
डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
हर हर शंकर भोले दानी। देवासुर सब कीर्ति बखानी॥ द्वादश ज्योतिर्लिङ्गहि रूपा। त्रिलोकेश्वर रुप अनूपा॥ महादेव भ
त्राहिमाम
अजय कुमार 'अजेय'
तुम हो जग के पालनहारे। ब्रहां, विष्णु, महेश हमारे।। हे आपदा प्रबंध प्यारे। सबहु तेरी कृपा सहारे।। सूनी सड़क गली च
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