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कुण्डलिया छंद

नवरात्रि
सुशील कुमार
माता दुर्गा का लगे, तीजा रूप महान। अर्धचंद्र है भाल पर, चंद्रघंटा सुजान॥ चंद्रघंटा सुजान, भुजा दस सोहे माँ के। मि
अमर हुए जाँबाज़
डॉ॰ ममता बनर्जी 'मंजरी'
सुकुमा की धरती हुई, आज रक्त से लाल। परिजन सारे रो रहे, होकर के बेहाल॥ होकर के बेहाल, तड़पते घायल सैनिक। ज़ालिम चलते
नवरात्रि महापर्व
शमा परवीन
मनभावन पावन लगा, नवरात्रि महा पर्व। करते आएँ हैं सदा, हम सब इस पर गर्व॥ हम सब इस पर गर्व, चेतना नई जगाएँ। रख कर नौ उपव
मित्रता
प्रवीन 'पथिक'
जीवन में ग़म बहुत है, लेकिन है इक बात। सारे ग़म कट जाते हैं, यदि हो मित्र का साथ। यदि हो मित्र का साथ, सुख दुःख में काम

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