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सत्य
संजय राजभर 'समित'
प्रेम राग बनी रहे, हर हाल में सच बोलिए। बात से कब क्या घटे, तकरार में रस घोलिए।। आसमाँ झुकता रहा, उस व्यक्ति के पग मे
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