देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन
सजल

है दुनिया पर नहीं भरोसा
अविनाश ब्यौहार
है दुनिया पर नहीं भरोसा, पानी पी पी कर है कोसा। घर में इतनी चहल पहल है, औ कुढ़ कर बैठा है गोशा। ऑफ़िस की मीटिंग में म
उपदा केवल खाम ख़याली है
अविनाश ब्यौहार
उपदा केवल खाम ख़याली है, सियासत में मंत्री मवाली है। अभिनन्दन जहाँ होना चाहिए, माहौल ने ताना दुनाली है। अटैची नोट
साक्षी हो कर भी मुकर गए
संजय राजभर 'समित'
साक्षी हो कर भी मुकर गए, ज़मीर पल में क्यों बिसर गए। माँ-बाप भगवान लगते थे, आँखों से अब क्यों उतर गए। विडियो बनाने म
सख़्त शहर नहीं क़बीले हैं
अविनाश ब्यौहार
सख़्त शहर नहीं क़बीले हैं। हरकत से ढीले-ढीले हैं।। लगे हुए जो घर के सम्मुख, कनेर वे पीले-पीले हैं। बादाम-दशहरी या चौ

और देखे..

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें