आदेश की अवहेलना,
औ है दिलों से खेलना।
यदि मुश्किलों में ज़िंदगी,
तब तो दुखों का झेलना।
गर काम से तुम बच रहे,
पापड़ यहाँ है बेलना।
अब आपसे हम क्या कहें,
रिक्शा जरा सा ठेलना।
बलवा अगर होने लगे,
निश्चित वहाँ है भेलना।
गर मेहनत करना पड़े,
है दंड-बैठक पेलना।
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