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आगंतुक (कविता) Editior's Choice

आँखों ने देखा पर वाणी ने बखाना नहीं।
भावना ने छुआ पर मन ने पहचाना नहीं।
राह मैंने बहुत दिन देखी, तुम उस पर से आए भी, गए भी,
—कदाचित्, कई बार—
पर हुआ घर आना नहीं।


रचनाकार : अज्ञेय
            

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