आख़िर हम कब सुधरेंगे?
सच्चाई को कब समझेंगे?
दूर-दूर तक नही है राहें,
कब हम दो से एक बनेंगे?
आख़िर हम कब सुधरेंगे?
दर्पण से कब तक दूर रहेंगें?
व्यापार नीति कब बदलेंगे?
हम कब पूरा कर्तव्य करेंगे?
आख़िर हम कब सुधरेंगे?
मायाजाल कब समझेंगे?
मृगतृष्णा से कब उबरेंगे?
हम कब हासिल सुकून करेंगे?
आख़िर हम कब सुधरेंगे?
ग्लोबल को कब समझेंगे?
देश-देशान्तर की बात करेंगे,
हम कब तक स्वयं को बदलेंगे?
आख़िर हम कब सुधरेंगे?
जीवन पथ कब दुरस्त करेंगें?
भविष्य की राहों में कंकड़,
नौनिहाल कब तक भोगेंगें?
आख़िर हम कब तक बदलेंगे?
यर्थाथ सत्य को कब समझेंगे?
अधिकार-कर्तव्य सम्पूरक,
सच्चाई कब स्वीकार करेंगे?
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