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आओ मनाए ख़ुशियों का पर्व (कविता)

आओ मनाए ख़ुशियों का पर्व,
झूमें गाएँ इसमें सब।

आओ जलाएँ उन दियों को,
जो वर्षो पहले बूझ चूके थे।
वजह क्या था, ग़लती किसकी थी,
सारी बातों को भूलकर,
आओ आज मैं और तुम हम हो जाएँ,
जैसे दिया और बाती।

आओ हम सब मिलकर,
जलाएँ ख़ुशियों का दिया।
आओ मनाए ख़ुशियों का पर्व,
झूमें गाएँ इसमें सब।


लेखन तिथि : 2018
            

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