आया जन्मदिन बाबा भीम का,
विश्व समूचा झूम रहा।
बाबा भीम के त्याग, समर्पण,
बहुजन अम्बर चूम रहा।
बाबा भीम के जन्मदिवस पर,
घर-घर दीप जलाओ तुम।
रहो संगठित शिक्षित होकर,
मन में ना दहलाओ तुम।
14 अप्रैल महापर्व है,
चप्पा-चप्पा गूँज रहा।
बाबा भीम पर हमें गर्व है,
नारा घर-घर गूँज रहा।
बंगला-गाडी़, शिक्षा-दीक्षा,
आज जो बहुजन हम पर है।
विश्व रत्न संविधान निर्माता,
बाबा भीम के दम पर है।
कलम चली जब बाबा भीम की,
थर-थर काँपे शातिर।
बच्चों की क़ुर्बानी दे दी,
बहुजनों की ख़ातिर।
एक अकेली कलम भीम की,
क्या भाला और क्या बर्छी।
कलम भीम की आज बदौलत,
कलम चलाता समदर्शी।
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