हे! हिंदी के युग निर्माता,
बारम्बार प्रणाम तुम्हें।
हम सबको है गर्व आप पर,
बारम्बार प्रणाम तुम्हें।
हिंदी भाषा के गौरव थे,
श्री आचार्य द्विवेदी जी।
महावीर थे नामरूप ही,
श्री आचार्य द्विवेदी जी।
राय बरेली दौलतपुर में,
निर्धन घर मे जन्म लिया।
यूग-निर्माता हिंदी के वह,
सतत साधना पूर्ण किया।
काल आधुनिक हिंदी का तो,
महावीर ने सृजित किया।
सरस्वती का सम्पादन कर,
हिंदी को नवगठित किया।
आज़ादी के आंदोलन को भी,
वह गतिशील बनाए थे।
अनुशासन औ स्वाभिमान को,
जीवन मे अपनाए थे।
हे! हिंदी के युग निर्माता,
बारम्बार प्रणाम तुम्हे।
हम सबको है गर्व आप पर,
बारम्बार प्रणाम तुम्हें।
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