शिथिल पाँव भोग के,
विस्मरण भाव शोक के।
कर्म से गति का अवसर,
सम्यक ध्यान अहरहर।
अनुसरण कृष्ण का।
होली, अग्नि दहन ईर्ष्या का,
उचित प्रयोग द्वेष वर्षा का।
और अग्नि संज्ञा ईश की,
नाम स्मृति परमीश की।
अनुकरणीय,
अनुसरण कृष्ण का।
योग सर्व समस्या का समाधान,
प्रेमाभक्ति से उत्पन्न अवधान।
शुचिता से चित्त प्रफुल्लित,
साधक रहे सर्वदा दत्तचित्त।
मात्र हो
अनुसरण कृष्ण का।
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