देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

अश्कों की बरसातें ले कर लोग मिले (ग़ज़ल) Editior's Choice

अश्कों की बरसातें ले कर लोग मिले,
ग़म में भीगी रातें ले कर लोग मिले।

पूरी एक कहानी कैसे बन पाती,
क़तरा क़तरा बातें ले कर लोग मिले।

भर पाते नासूर दिलों के कैसे जब,
ज़हर बुझी सौग़ातें ले कर लोग मिले।

अब ग़ैरों से क्या शिकवा करने जाएँ,
अपनों को ही मातें दे कर लोग मिले।

आशिक़ का टूटा दिल कोई क्यों देखे,
जब अपनी बारातें ले कर लोग मिले।


रचनाकार : रेखा राजवंशी
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें