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अटल सत्य (कविता)

चलो आज मैं तुम्हें,
जीवन का सत्य सुनाता हूँ।
जो अंधकार फैला है जग में,
उसका रहस्य बताता हूँ।

सागर में उठती हैं लहरें,
जब तेज़ बवंडर आता है।
हरी भरी हो जाती है धरती,
जब मेघ जल बरसाता है।
गर्मी बढ़ जाती है जग में,
जब सूर्य प्रचण्ड हो जाता है।
मिट्टी में मिल जाता है मानव,
जब शरीर नष्ट हो जाता है।
यही जीवन का सत्य है,
एक अद्भुत रहस्य है।

मछली तब मर जाती है,
जब जल से बाहर आती है।
नदी विशाल हो जाती है,
जब सागर से मिल जाती है।
ऋतु सुहानी आती है,
जब कोयल गीत सुनाती है।
रुक जाती है जीवन की गाड़ी,
जब मृत्यु क़रीब आ जाती है।
यही जीवन का सत्य है,
एक अद्भुत रहस्य है।


रचनाकार : दीपक झा 'राज'
लेखन तिथि : 12 दिसम्बर, 2002
            

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