हुए सब हर्षित हैं पुर ग्राम।
अवध में जन्मे हैं श्रीराम।
बज रहे ढोल नगाड़े साज।
छा गईं घर घर ख़ुशियाँ आज।
मचा है चहुँ दिशि खूब धमाल।
सभी नर नारी हैं ख़ुशहाल।
सजाकर लाया हूँ मैं थाल।
नवल पीताम्बर इत्र गुलाल।
शुशोभित धनुष आपके हाथ।
लगा केसर चन्दन है माथ।
कृपा अब इतनी कर दो राम।
जगत में हो जाए बस नाम।
चढ़ाऊँ तुमको मैं मिष्ठान।
आरती साथ करूँ गुड़गान।
बना दो मेरे बिगड़े काम।
अवध में जन्में हैं श्रीराम।
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