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बाज़ार मदारी है (नवगीत)

ग्राहक बना
जमूरा है
बाज़ार मदारी है!

इच्छाएँ टँगी हुईं
शो केस मे!
अब रावण फिरें
साधू के भेष मे!

हर महीने सिर पर
चढ़ती जाए
उधारी है!

मोल भाव करना
भी एक आर्ट है!
मकड़जाल हुआ
ये मेगामार्ट है!

माशा तोला
जो होता है
वो व्यापारी है!


लेखन तिथि : 11 अप्रैल, 2019
            

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