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बेशक नहीं पसंद वो नफ़रत न हम रखेंगे (ग़ज़ल)

बेशक नहीं पसंद वो नफ़रत न हम रखेंगे,
बस प्यार की वफ़ा की चाहत न हम रखेंगे।

ग़मगीन हैं फ़ज़ाएँ दहशत है खलबली है,
इस बेरहम हवा से क़ुरबत न हम रखेंगे।

होते रहे जो यूँ ही सब ख़ास दूर हमसे,
इक रोज़ ज़िंदगी की हसरत न हम रखेंगे।

सुनले चमकते सूरज रह लेंगे तीरगी में,
तेरे उजालों से तो निस्बत न हम रखेंगे।

ऐ रहनुमा हमारे ली देख रहनुमाई,
तुझ पर कभी भरोसा हज़रत न हम रखेंगे।

लफ़्ज़ों में ढल रहे हैं तुम देखना किताबें,
अब और बोलने की ज़हमत न हम रखेंगे।


रचनाकार : मनजीत भोला
लेखन तिथि : 7 सितम्बर, 2021
अरकान : मफ़ऊलु फ़ाइलातुन मफ़ऊलु फ़ाइलातुन
तक़ती : 221 2122 221 2122
            

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