देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

बेटी नित रत्नाकर समझो (गीत)

बोझ नहीं सम्मानित बेटी,
स्नेहिल नित रत्नाकर समझो।
सारे जग मुस्कान है बेटी,
मृदुल छाँव ममतांचल समझो।

जीवन की पहली किरण सुता,
परी कुदरती दुनिया समझो।
बेटी बहना माँ बेटी वह,
शोकहारिणी पत्नी समझो।

सुता सृष्टि की प्रथम अरुणिमा,
आलोकित जग करती समझो।
निर्भय नित दुनिया सबला बन,
निर्बाध लक्ष्य पथ साधक समझो।

बढ़े मनोबल सदा बेटियाँ,
धीरा साहसी विनया समझो।
पढ़े लिखे सक्षम जीवन पथ,
भाग्य स्वयं परिवर्तक समझो।

प्रीति रीति में समता ममता,
बेटी नित रत्नाकर समझो।
क्षमा दया करुणादात्री जग,
जीवन की ख़ुशियाली समझो।

बनी रोशनी गेह बेटियाँ,
दीपशिखा सम्मानित समझो।
शिक्षित मेधा परमारथ रत,
परकीया गृहलक्ष्मी समझो।

सींचो स्नेहिल सरित बेटियाँ,
पूत सुता सम सन्तति समझो।
जीवन मानव तभी हर्षमय,
उच्छेद सुता घातक समझो।

पुरुषार्थी नित सहजा सरला,
ध्येय शिखर आरोहक समझो।
धवल कीर्ति रचती अम्बर नित,
अरमान सिद्धनायक समझो।

शक्तिशालिनी बने बेटियाँ,
बढ़ा जोश ख़ुद प्रेरक समझो।
पूर्ण करो हर चाह सुता मन,
बेटी रक्षा कर्ता समझो।

मानक कुल की सदा बेटियाँ,
विधिलेखी उपहार समझ लो।
सब रिश्तों की डोर बनी नित,
महाशक्ति अवतार समझ लो।

शृंगार जगत की सदा सुता,
न बेटी बोझ आदर समझो।
साधन साध्य बनी उत्थानक,
नार्यशक्ति वरदान समझ लो।

ज्ञान विज्ञान बनी शिक्षिता,
दुर्जेय वीरांगना समझो।
नेत्री निपुणा बनी वतन वह,
गायक नित अभिनेत्री समझो।

यायावर संकल्पित बेटी,
संघर्षक प्रतिमान समझ लो।
हर विघ्नों को पार करे नित,
विजयी नित उत्कर्ष समझ लो।

मुस्कान सदा बेटियाँ जगत,
उत्थान चहुँ सम्मान समझ लो।
हे सृष्टि धरे! जननी तनया,
महाशक्ति विधि नायक हो।

प्रसरित निकुंज में कीर्ति प्रभा,
सुता चन्द्र की ज्योति समझ लो।
लघु जीवन अनमोल धरोहर,
सुता गेह सौभाग्य समझ लो।


लेखन तिथि : 24 जनवरी, 2022
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें