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भगवान महावीर जयंती (कविता)

“जीयो और जीने दो” था जिनका मुलमंत्र, उन महावीर को नमन,
प्रेम, अहिंसा और सत्य के थे पुजारी, उन महावीर प्रभु का वंदन।
“बुराई को प्रेम से जीतो”, यही था उनके उपदेशों का सार,
शत्रु और मित्र का न किया विचार, प्रेम भाव का दिया उपहार।

उनके जीवन के तीन मंत्र, सम्यक विचार, सम्यक दर्शन और सम्यक चरित्र,
इन्ही भावों से किया उन्होंने, धरा के कण-कण को पवित्र।
पंच महाव्रत का अनुदान दिया, अमूल्य था उनका यह वरदान,
सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य और अस्तेय, इन्ही को दिया सम्मान।

अहिंसा के मार्ग पर चलकर सदा, दिया धर्म का उपदेश,
“अहिंसा परमोधर्म” का दिया, मानवता को शुभ सन्देश।
“स्व से पहले संसार” यही था उनका परोपकार धर्म,
दिया संसार को उन्होंने, मानव जीवन का सही मर्म।

संसार को सही राह दिखाने, हुआ था महावीर का जन्म,
आज महावीर के इस पावन दिन, करूँ मैं महावीर को नमन।
आज इस अवतरण दिवस पर, मानवता करती प्रभु का वंदन,
हर युग के इस महानायक का, धरा कर रही ह्रदय से अभिनंदन।


लेखन तिथि : 14 अप्रैल, 2022
            

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