काली अमावस में
दीप जलते हैं
तारों से।
पर्व है
दीवाली का।
रश्मियों के
माली का।।
बाज आ गए
अब हम हैं
उनके उपकारों से।
फुलझड़ी औ
अनार है।
लोगों मे
बस प्यार है।।
उतरीं नवयौवनाएँ
चमचमाती-
कारों से।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें