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चाँद मिरा हैं (कविता)

मुबारक़ हो आसमाँ,
तिरे हिस्से में हो हुजूम-ए-अंजूम-ओ-चराग़,
तिरे सीने में रहे आफ़ताब
पर चाँद मिरा हैं हो गया आग़ाज़।

उनके हिस्से आएँ
राम ओ रहीम करीम कृष्ण संसार,
मिरे हिस्से आएँ
तेरी ख़ुशियाँ, बरकतें, दुआएँ हज़ार,

उनके खेतों में चले फ़व्वारें, हो धान की बरसात,
मिरे खेत में उड़े तिरा दुप्पट्टा, लहलहाए इंद्रधनुष इस पार से उस पार।

काएनात के क्षणिक दौर में
उसे मिले ओहदें, शोहरतें और सरकार,

मिरे हिस्से आए क़ुर्बतें, बसंत, बहार, प्यार और बस परिवार।


लेखन तिथि : 21 फ़रवरी, 2021
            

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