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चाँद से चेहरे को तारों से सजा रखा है (ग़ज़ल)

चाँद से चेहरे को तारों से सजा रखा है।
अपने प्रियतम को पलकों में छुपा रखा है।।

भूल न पाऊँगा तुझको किसी भी सूरत में,
अब तो तेरी यादों का आईना बना रखा है।

आप ख़ुद को मेरी आँखों में देखिए तो सही,
छोड़िए आईना, आईना में क्या रखा है।

अब छोड़ नहीं सकता कभी तेरा दामन,
मैंने ये राज़ ज़माने से छुपा रखा है।

तेरे आँखों की बातें और चेहरे की ख़ामोशी,
इस अदा ने मुझे दीवाना बना रखा है।

जाते जाते मेरे सवाल का जवाब दे "पथिक",
उनमें क्या बात है, जो दिल को लगा रखा है।


रचनाकार : प्रवीन 'पथिक'
लेखन तिथि : 23 जनवरी, 2021
अरकान: मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
तक़ती: 1222 1222 1222 1222
            

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