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चंदा जनि उग आजुक राति (पद) Editior's Choice

चंदा जनि उग आजुक राति।
पियाके लिखिअ पठाओब पाति॥
साओन सएँ हम करब पिरीति।
जत अभिमत अभिसारक रीति॥
अथरा राहु बुझाएब हँसी।
पिबि जनि उगिलह सीतल ससी॥
कोटि रतन जलधर तोहें लेह।
आजुक रयनि घन तम कए देह॥
भनइ विद्यापति सुभ अभिसार।
भल जन करथि परक उपकार॥


रचनाकार : विद्यापति
            

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