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चरण धरत चिंता करत (दोहा छंद) Editior's Choice

चरण धरत चिंता करत, नींद न भावत शोर।
सुबरण को सोधत फिरत, कवि व्यभिचारी चोर॥


रचनाकार : केशव
            

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