देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

छवि विमर्श (कविता)

तेरे जाते क़दमों के निशान
समंदर की रेत पर,
आज भी नज़र आते है
उन राहों पर बिखरे मेरे अरमाँ
तेरे क़दमों में मिले,
आज भी नज़र आते है।

ओढ़ एहसासों की लहरें
तेरी यादों के तकिए पर सोई
कुछ उलझी, कुछ सुलझी
सीप बन आँसुओं के,
विस्मृत मोती सँजोई।

धुँधली फ़िज़ाएँ,
तेरी यादों की लिपेट चादर
शीत निद्रा, दिवा-स्वप्न मुंद्रा
शमन करता तेरा चेहरा
तेरी सुध में होती सादर।


लेखन तिथि : 2021
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें