देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

चिलचिलाती धूप (कविता)

इस चिलचिलाती धूप ने
जीना किया दुश्वार है।

गर्म लू जलती फ़िज़ाएँ,
हर तरफ़ अंगार है।

आँधियाँ लू के थपेड़े,
मन बदन बेज़ार है।

पेट के ख़ातिर सभी को,
झेलना ये रार है।

बेबस ग़रीबो के लिए तो,
वक्त की भी मार है।

और ऊपर से भयंकर,
तपिश का भी वार है।

है पसीना में नहाया,
भाग्य से लाचार है।

हाँ अमीरों के लिए,
ऊटी मनाली यार है।

घर डगर हर जगह एसी,
क्या अजब संसार है।


लेखन तिथि : 2 अप्रैल, 2022
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें