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देशभक्ति (कविता) Editior's Choice

तीन रंग का झंडा अपना,
भारत माँ की शान है।
कण-कण में ख़ुशहाली महके,
भारत देश महान है।

मर मिटने का जज़्बा सबमें,
बलिदानी ये धरती है।
स्वार्थ से ऊपर देश हमारा,
बसती अपनी जान है।

श्वेत कण मोती से चमकें,
तन कर खड़ा हिमालय है।
कल-कल बहती सरिताएँ हैं,
माँ जैसा सम्मान है।

हरियाली की चादर ओढ़े,
जब धरती मुस्काती है।
कृषक का चेहरा खिल जाए,
समृद्धि करे बखान है।

अलग-अलग हैं धर्म यहाँ पर,
अलग-अलग हैं बोलियाँ।
हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई,
'श्री' हिन्दुस्तानी शान है।


लेखन तिथि : 12 जुलाई, 2021
            

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