देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

धनतेरस के रंग (कविता)

साँझ होंगी, आसमाँ में चमकेंगे, चाँद और हज़ारों सितारे,
कार्तिक महीने के तेरहवें दिन, धन तेरस के बजेंगे नगाड़े।
धन तेरस के इस शुभ दिन, होंगी धन की अपार वर्षा,
माँ लक्ष्मी के पाँव पड़ेंगे, पूरी होंगी सब की मंशा।

माता लक्ष्मी के पड़ेंगे शुभ क़दम, करेंगी सबका विघ्नहरण,
अंधकार की दूर होंगी कालिमा, जब पड़ेंगे माँ के चरण।
प्रगति का आग़ाज़ होगा, रोशनी का अंदाज़ होगा,
संस्कारों की अर्चना होंगी, आशाओं का परवाज़ होगा।

ग़रीबों के घरों में भी, पड़ेंगे माँ लक्ष्मी के क़दम,
अमीर ग़रीब का भेद कम होगा, ग़रीब में भी होगा दम।
चलो इस बार मनाएँ हम, पिछड़ों के संग दीपों का त्यौहार,
एक नए ढंग से मनाएँ हम, पावन दीपमाला का त्यौहार।

आओ इस धन तेरस के दिन, सजाएँ रंगोली के नए कुछ रंग,
आओ इस दीपावली में हम, मनाएँ त्यौहार मिलकर एक संग।
ज़िंदगी को दें एक नया तराना, रंगों से रच दें नया अफ़साना,
बजाएँ दिल में ढ़ोल नगाड़े, गढ़ दे मानवता का नया फ़साना।

एक नया संसार हो, संस्कारों का व्यवहार हो,
अपनेपन की भावना हो, सतकर्मों का उपहार हो।
मिलकर सजाएँ दीपों के रंग, दिल से दिल का इक़रार हो,
दुःख का तिमिर हट जाए जीवन से, एक सुनहरा संसार हो।

बजाएँ साज और सरगम, माँ लक्ष्मी के पड़े पावन चरण,
माँ लक्ष्मी के चरणों में हम, कर दें अपना सर्वस्व अर्पण।
इस धन तेरस पर हम, करें मानवीय गुणों का अभिनन्दन,
आओ सब मिलकर करें, माँ भारती का ह्रदय से वंदन।

केले के पेड़ लगाएँ, बाँस की खपच्ची लगाएँ,
बाँस की खपच्चियों पर, मिलकर मिट्टी के दीये सजाएँ।
घर आँगन हो जाए रोशन, मन में महके ख़ुशियों का जहाँ,
चाँद तारों की रोशनी से, चमक उठे ज़िंदगी का कारवाँ।


लेखन तिथि : 27 अक्टूबर, 2021
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें