धान्य-धन से देवी लक्ष्मी, देश का आँगन सजा दे,
दीप का आलोक अपने गेह को स्वर्णिम बना दे,
तम, निराशा, द्वेष, कटुता की ढहें दीवार काली,
स्नेह का त्यौहार अपने नेह को दृढ़तम बना दे।
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