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दीवाली का दीया (कविता)

देखो आई नई दीवाली,
लेकर जीवन में ख़ुशहाली।
न घर न आँगन है खाली,
चारों ओर है दीपक-बाती।

आओ अपने हाथ फैलाओ,
दुश्मन को भी गले लगाओ।
छोड़ कर सब गिले-शिकवे,
अंतर्मन में प्रकाश फैलाओ।

याद करो उन वीरों को भी,
जो सरहद से आ न पाए।
दीया उनके नाम का भी,
अपने घर में एक जलाओ।


रचनाकार : दीपक झा 'राज'
लेखन तिथि : 22 मार्च, 2018
            

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