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दो पल की ज़िंदगी (कविता)

एक ख़्वाब है
जो अक्सर अधूरा होता है,
नई चाहत जग जाती है
जब पिछला ख़्वाब पूरा होता है।

आज जो नया हैं
कल वह हो जाती है पुरानी,
इन दो पल की ज़िंदगी में ही
लिखा है जन्म मृत्यु की कहानी।

कभी लम्हा ऐसे भी आता है
जिसे बीता हुआ कल नज़र आता है,
बस यादें रह जाती हैं
याद करने के लिए
और वक़्त सब कुछ लेकर गुज़र जाता है।

दो पल की ज़िंदगी है,
आज बचपन है
तो कल जवानी,
परसों बुढ़ापा है,
फिर ख़त्म ये कहानी।


लेखन तिथि : 17 अगस्त, 2020
            

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