नयनों में है अश्रु जल,
खिल रहा दिल में कमल।
पर पूछ रहा ख़ुद से मैं प्रश्न,
क्यूँ दूरियाँ भिगो देती नयन।
जब वसंत ऋतु आती है,
आनंद की लहर छा जाती है।
पर पूछ रहा ख़ुद से मैं प्रश्न,
क्यूँ फिर ग्रीष्म ऋतु आती है।
आज हम हैं प्यारे साथी,
जैसे दीपक और हो बाती।
न जाने दूरियाँ फिर क्यूँ आती,
हँसते मुखड़े को फिर रुला जाती।
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