देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

एक प्यार का बाग़ लगाया कुछ दिन पहले (ग़ज़ल)

एक प्यार का बाग़ लगाया कुछ दिन पहले,
ख़ूब सँवारा और सजाया कुछ दिन पहले।

आने लगे बहुत शैलानी रोज़ घूमने,
उनमें से कुछ को अति भाया कुछ दिन पहले।

देखे जब आते जाते अनजाने चेहरे,
कुछ दिन थोड़ा सा घबराया कुछ दिन पहले।

अपना रुतबा और योग्यता के गुण गाकर,
आँधी तूफ़ाँ ने भरमाया कुछ दिन पहले।

भोला चमन हुआ ख़ुश ख़ुद को धन्य मानकर,
बढ़कर उनको गले लगाया कुछ दिन पहले।

सच्चा माली दूर खड़ा मायूसी के सँग,
गुलशन ने उसको ठुकराया कुछ दिन पहले।

इत्मिनान से माली ने उपवन को सींचा
मोल समर्पण का समझाया कुछ दिन पहले।

हार गए छल और झूठ वाले रखवाले,
जब सच का परचम लहराया कुछ दिन पहले।

तब से मौज और मस्ती में दिन गुज़रे हैं,
अंचल जब सच को अपनाया कुछ दिन पहले।


  • विषय :
लेखन तिथि : 21 मार्च, 2022
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें