एक तुम जो छेड़ दो
हज़ारों तरंगे उत्पन्न हो जाए ह्रदयतल में,
तुम जो करो निगहबानी
शत् शत् कमल दल खिले अन्त:तल में,
अपने आने की ख़बर दे दो
शत् शत् दीप जले जीवन पथ में,
राहों के शूल, फूल बने
सुवासित हो जीवन के पग पग में।
एक तुम जो छेड़ दो...
एक तुम जो छेड़ दो
हज़ारों तार हृदय के बज उठेंगे,
तरन्नुम, गीत, ग़ज़ल सब
साज सहित क़दम थिरक उठेंगे,
बजा दो बाँसुरी प्रेम की 'प्रिये'
मौन शब्द प्रेम कै बोल उठेंगे
पंखुड़ियाँ प्रेम की अधरों पर खिलकर
बातों की परतें खोल उठेंगे।
एक तुम जो छेड़ दो...
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