यह गाय कहलाती है गौ माता,
इतिहास में जिसकी कई गाथा।
ख़ुद के बच्चें को भूखा रखकर,
पिलाती है जगत को दूध माता।।
गाय हमारी देखो प्यारी-प्यारी,
दूध इसका बहुत ही हितकारी।
सफ़ेद व काली लाल और भूरी,
मुत्र और गोबर भी है गुणकारी।।
महिमा इसकी जग में निराली,
पूजते इसे संसार सब नर नारी।
गऊ धेनु सुरभि भद्रा व रोहिणी,
गाय दिलवाली हमारी तुम्हारी।।
दूध पीने से आती चुस्ती-फुर्ती,
बैठा नही रहता वह फिर कुर्सी।
घूमती रहती टहलती जैसे गाय,
बच्चें वृद्ध जवान ख़ुद को पाए।।
दूध दही मक्खन धी और छाछ,
सभी में भरपूर पोष्टिक आहार।
रखें सभी आज अपने घर गाय,
क्योंकि मिले नही शुद्ध बाज़ार।।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें