नमन करता देश तुमको
गर्व तुम पर देश को है,
नम हैं आँखें भले हमारी
विश्वास है कि तुम ज़िंदा हो।
देश का कण-कण याद कर रहा
शेर को अपने पुकार रहा है,
तुम मर ही नहीं सकते हो
तुम मरकर भी ज़िंदा हो।
देखो भारत माँ का आँचल
मेरे लाल कह पुकार रही,
रुठ गया क्यों तू बेटा माँ से
करुण क्रंदन गान कर रही।
दुश्मनों के मन का ख़ौफ़ भी
चीख़-चीख़कर यही कह रहा,
विपिन तुम्हारे नाम की दहशत से
दुश्मन अब भी है काँप रहा।
तुमनें दुनिया छोड़ दिया है
विश्वास नहीं हम सबको है,
डर बता रहा राष्ट्रद्रोहियों का
तुम मरे कहाँ तुम ज़िंदा हो।
मरकर भी तुम हो मरे नहीं
हम सबके दिलों में ज़िंदा हो,
जो मरा वो रावत विपिन था
जनरल रावत भारत की साँसों में
घुलकर आज भी ज़िंदा हो।
है गर्व हमें तुम पर हमको
विश्वास हमें अब भी इतना
भारत माता के सपूत तुम
माँ का आँचल छोड़ भला
तुम आख़िर कहाँ जा सकते हो।
कोई कुछ भी कहता ही रहे
कोई कैसे विश्वास करेगा,
दुश्मन कुचक्र करने से पहले,
जनरल विपिन रावत का नाम
ज़ेहन में उसके बसा रहेगा।
श्रद्धांजलि देते हम सब हैं
पर याद सदा ही आओगे,
एक दिन ज़िंदा होने का सबूत
जनरल तुम देने ख़ुद ही आओगे।
रची बसी आत्मा तुम्हारी
भारत के जब कण-कण में
तब भला बताओ जनरल जी
आख़िर दूर कब तक रह पाओगे।
भारत की सेना में तुम तो रचे बसे हो
हर सैनिक की अब भी तुम ढाल बने हो
लुकाछिपी का खेल खेलकर आओगे
अपनी वर्दी के बिना भला रह पाओगे?
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