देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

ग़म उसका नहीं था (कविता)

सुबह नींद देर से खुली
ग़म उसका नहीं था
रात को देर से सोया
ग़म उसका भी नहीं था।
वह कल मिला था
अपने बरामदे मे चारपाई पे बैठा
मन ही मन कुछ बुदबुदा रहा था
मैने उससे पूछा-बात क्या है? मुझे बताओ!
बड़े विस्मय से उसने देखा मुझे
और कहाँ कुछ भी तो नहीं सब ठीक हैं।
अगली सुबह मैने जो देखा
आँखो मे अश्क लिए रोता ही रहा
आज फिर सुबह नींद देर से खुली
परन्तु रातें कसमकस में गुज़रती रही...


लेखन तिथि : मार्च, 2020
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें