गुलमोहर मानो
स्वर्ग का फूल!
लबालब भरा
है पराग!
खुले मधुमक्खी
के भाग!
मधुका का छत्ता
रहा है झूल!
धधके अंगार
सा रंग!
खिले हैं
मधुऋतु के अंग!
फूलों की नदी
गंधों के कूल!
लाल हैं
और हैं पीले!
गाँव में
इनके क़बीले!
वैशाख जेठ
नहीं जाते भूल!
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें