प्रयागराज, उत्तर प्रदेश | 1846 - 1921
हर एक से सुना नया फ़साना हम ने देखा दुनिया में एक ज़माना हम ने अव्वल ये था कि वाक़फ़ियत पे था नाज़ आख़िर ये खुला कि कुछ न जाना हम ने
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