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हे पार्थ! सदा आगे बढ़ो तुम (कविता)

हे पार्थ! सदा आगे बढ़ो तुम,
कर्तव्य पथ पर डटो तुम।
मुश्किलों का सामना करो,
तूफ़ान के आगे भी अड़ो तुम।
हे पार्थ! सदा आगे बढ़ो तुम,
कर्तव्य पथ पर डटो तुम।

तुम्हारा कर्म ही तुम्हारी पहचान बनेगा,
चिरकाल तक तुम्हारा नाम करेगा।
लोभ मोह क्रोध पाप को तजो तुम,
सत्य निष्ठा नेकी का मार्ग धरो,
अन्याय से डटकर लड़ो तुम।
हे पार्थ! सदा आगे बढ़ो तुम,
कर्तव्य पथ पर डटो तुम।

परोपकार के भागी बनो,
अहिंसा के पुजारी बनो,
नए आदर्श स्थापित करो तुम।
मन में अटूट विश्वास भरो,
संयम का पाठ पढ़ो तुम।
हे पार्थ! सदा आगे बढ़ो तुम,
कर्तव्य पथ पर डटो तुम।

तुम्हारी कोशिशें गवाह बनेंगी,
सफलता की नई राह बनेगी।
फल की चिंता छोड़ो,
कर्म की कड़ियाँ जोड़ो,
अटल निश्चयी बनो तुम।
हे पार्थ! सदा आगे बढ़ो तुम,
कर्तव्य पथ पर डटो तुम।


रचनाकार : आशीष कुमार
लेखन तिथि : 17 जनवरी, 2022
            

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