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हिन्दी से प्यार करो (कविता)

हिंदुस्तान के रहने वालों,
हिंदी से तुम प्यार करो।
ये पहचान है माँ भारत की,
हिंदी का सत्कार करो।

हिंदी के विद्वानों ने तो,
परचम जग में फहराए।
संस्कार के सारे पन्ने,
हिंदी से ही हैं पाए।

देवनागरी लिपि में अपनी,
छुपा हुआ अपनापन है।
अपनी प्यारी भाषा हिंदी,
भारत माँ का दरपन है।

हिंदुस्तानी होकर तुमने,
यदि इसका अपमान किया।
तो फिर समझो भारत वालों,
ख़ुद का ही नुक़सान किया।

हिंदुस्तान के रहने वालों,
हिंदी से तुम प्यार करो।
यह पहचान है माँ भारत की,
हिंदी का सत्कार करो।


लेखन तिथि : 12 सितम्बर, 2020
            

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