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होली आई रे (गीत) Editior's Choice

रंग बरसे होली फाल्गुनी बयार आई रे,
सब ख़ुशियों रंगों की थाल सजाई रे।
शान्ति प्रेम सौहार्द्र आपसी भेंट सजाकर लाई रे,
अपनापन मानवता का संदेश सुनाने आई रे॥
होली आई रे...

जाति-पाति और ऊँच नीच का भेद मिटाने आई रे,
घृणा, द्वेष छल कपट होलिका आग जलाने आई रे।
अंधापन कट्टर धार्मिकता सद्भाव जगाने आई रे,
सद्गुरू या भगवान कहो या गॉड ख़ुदा रंग लाई रे॥
होली आई रे...

रहें सभी सुख चैन प्रेम से अलख जगाने आई रे,
होली हूँ हर सभी ग़मों को मुस्कान अधर पे लाई रे।
रोग शोक मद लालच सबको आग जलाने आई रे,
दीन धनी का भेद भुलाकर रंगोली बन छाई रे॥
होली आई रे...

होली में सब भेद भुलाकर गले मिलाने आई रे,
पीला लाल गुलाबी हरितिम सतरंग बनी मैं आई रे।
शान्ति वतन जन मन सुरभित प्रेम चमन बन आई रे,
सद्भावन समरस मनभावन रिपुदलन कराने आई रे॥
होली आई रे...

हिंसा दंगा रोष विनाशक मन घाव मिटाने आई रे,
त्याग शील गुण कर्म मधुरतम रंग लगाने आई रे।
शिक्षा दीक्षा सर्वसुलभ युवजन प्रेरक बन छाई रे,
राष्ट्र भक्ति एकत्व भाव मन प्रीति रंग बन आई रे॥
होली आई रे...

दान मान सम्मान सर्वजन समभाव राष्ट्र में लाई रे,
होली है नैतिक सम्पोषक प्रेम शान्ति रंग बरसाई रे।
सबल बने निर्भय नारी सब सम्मान जगाने आई रे,
रंगों की होली उत्सव पृथ्वी परिवार भाव लाई रे॥
होली आई रे...

गाएँ झूमें फाग राग हम मधुरिम रास रचाएँ टोली रे,
आओ हम सब खेंलें साथ में बुरा न मानो होली रे।
गले मिलें भेद भुला हम दें बधाईयाँ मीठी बोली में,
लगे लाल गुलाल गाल पे साजन सजनी हमजोली रे॥
होली आई रे...

गूँजे चहुँदिशि गीत जोगीरा सर र र होली मन रंगरसिया,
झूमें मधुवन साथ गोपियाँ बजाए राधाकृष्ण मुरलिया रे।
भाँग पान मदमस्त प्रेम में झूमें सियराम धाम अवधिया,
फूल वृष्टि काशी रंगीली मंगल विश्वनाथ मनवसिया रे॥
होली आई रे...


लेखन तिथि : 18 मार्च, 2022
            

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