ठान लिया अब मैंने मन में, बिगुल नया फूकूँगा,
चूक रहा था मैं अब तक, इस बार नहीं चूकूँगा।
कहाँ-कहाँ ग़लती की, समझ गया हूँ मैं अब,
जहाँ-जहाँ उलझा था, सुलझ गया हूँ मैं अब।
मैं रहूँगा असफल ही, कुछ लोग मुझे भूले हैं,
आर्थिक आकलन करके मेरा, दौलत में झूले हैं।
हालात विपरीत हों चाहे, विश्वास न खोने दूँगा,
भीमराव का वंशज हूँ, दु:खी न मन होने दूँगा।
जीतूँगा हरहाल में अब मैं, ये मैंने ठान लिया,
है चमत्कार को नमस्कार ही, ये मैंने जान लिया।
चेहरे कितने असली-नकली, ये मैं पहचान गया,
साथी कितने असली-नकली, ये मैं जान गया।
गुण-अवगुण देखे ना कोई, बात नहीं ये खोटी है,
अब तुम चहुँओर देखलो, दौलत सम्मान कसौटी है।
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