सीतामढ़ी, बिहार | 1996
इश्क़ तो इश्क़ है सब को इश्क़ हुआ है, इस क़दर कुछ न हुआ जो इश्क़ हुआ है।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें