जैसा चलता है चलने दे,
सूरज ढलता है ढलने दे।
तम को है दूर भगाने को,
दीपक जलता है जलने दे।
शम्मा महफ़िल में जलती है,
औ मोम गले तो गलने दे।
है काम टलेगा अब कल पर,
जब टलता है तो टलने दे।
गर पोल खुली है जब उसकी,
यदि खुलती है तो खुलने दे।
जड़ से है मानो पेड़ हिला,
अब हिलता है तो हिलने दे।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें