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जैसा चलता है चलने दे (गीतिका)

जैसा चलता है चलने दे,
सूरज ढलता है ढलने दे।

तम को है दूर भगाने को,
दीपक जलता है जलने दे।

शम्मा महफ़िल में जलती है,
औ मोम गले तो गलने दे।

है काम टलेगा अब कल पर,
जब टलता है तो टलने दे।

गर पोल खुली है जब उसकी,
यदि खुलती है तो खुलने दे।

जड़ से है मानो पेड़ हिला,
अब हिलता है तो हिलने दे।


  • विषय :
लेखन तिथि : 17 अगस्त, 2022
आधार छंद : चौपाई
            

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