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जैसे शेरों की माँद खलक (ग़ज़ल)

जैसे शेरों की माँद खलक,
होता चंदा के पास फ़लक।।

हैं हरि दर्शन के प्यासे हम,
मिल जाए उनकी एक झलक।

यदि झुग्गी से पूछेंगे तो,
होगी धन की बस तीव्र ललक।

रातों के चेहरे पर पाया,
मानो होती है साँझ अलक।

गर्मी से सब झुलसे होंगे,
जाता है अक्सर सूख हलक।


  • विषय :
लेखन तिथि : 2019
            

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