जल ओक में भरने लगी,
वह आचमन करने लगी।
जब भी हवा आँधी बनी,
ये सृष्टि भी डरने लगी।
होता अगर है कोसना,
मुझमें दुआ झरने लगी।
खाली जगह है देखिए,
अब फूल से भरने लगी।
जब-जब मिली शुभकामना,
है पीर को हरने लगी।
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