जिस्म को चादर बनाया ही नहीं,
रात भर दीपक बुझाया ही नहीं।
ज़िंदगी में जो सिखाया वक़्त ने,
वो किताबों ने सिखाया ही नहीं।
हाल दिल का सब कहा है शेर में,
राज़ कुछ उनसे छुपाया ही नहीं।
जो कहा था शेर उनके वास्ते,
वो कभी उनको सुनाया ही नहीं।
मैं बहुत ही चाहता उसको रहा,
पर कभी उसको बताया ही नहीं।
फ़र्ज़ उसको जो निभाना चाहिए,
वो कभी उसने निभाया ही नहीं।
बाँट लेते आपके हम दर्द ओ ग़म,
आपने अपना बनाया ही नहीं।
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