देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

काँधे पर चढ़ी धूप (नवगीत)

पशु-पक्षी और
पेड़ों ने जीवन में
कितने रंग भरे।

है दिवस के
काँधे पर चढ़ी धूप।
होगा सागर
सरिताओं का भूप।।

चलते हुए समीर
में देखो अलमस्ती
के ढंग भरे।

धरा पर डोली
रश्मि की उतरती।
तम की छाया
रौशनी से डरती।।

रस्मों-रिवाजों
में अनोखी
मंगलधुन उमंग भरे।


लेखन तिथि : 2019
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें